Homeसाहित्य के सितारेप्रकृति (कविता) अब कैसे तुझे समझाऊँ मैं। बोल अब कितना डराऊं मैं। कितना मुझे पीड़ा होती है। क्या मानव तुझे बताऊँ मैं। प्रकृति (कविता) अब कैसे तुझे समझाऊँ मैं। बोल अब कितना डराऊं मैं। कितना मुझे पीड़ा होती है। क्या मानव तुझे बताऊँ मैं। Five Star Foundation September 12, 2021 0 प्रकृति (कविता) अब कैसे तुझे समझाऊँ मैं। बोल अब कितना डराऊं मैं। कितना मुझे पीड़ा होती है। क्या मानव तुझे बताऊँ मैं। पूरी कविता पढ़े... Tags साहित्य के सितारे Facebook Twitter Whatsapp Share to other apps प्रकृति (कविता) अब कैसे तुझे समझाऊँ मैं। बोल अब कितना डराऊं मैं। कितना मुझे पीड़ा होती है। क्या मानव तुझे बताऊँ मैं। साहित्य के सितारे Newer Older